किडनी फेलियर की शुरुआत: पेशाब में ये 2 बदलाव पहचानें जल्दी

By SarkariEdgeDesk | Edited By: Shubham Pandey | Updated: Sat, 13 Sep 2025 04:30 AM (IST)

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किडनी हमारे शरीर के लिए बेहद अहम अंग हैं, जो टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती हैं। लेकिन जब किडनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं, तो शरीर में कई छोटे-छोटे संकेत सामने आते हैं, जिन्हें अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं।

इन शुरुआती लक्षणों को पहचानना और समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है। देर होने पर यह समस्या गंभीर किडनी डिजीज में बदल सकती है। आइए जानते हैं किडनी खराब होने के शुरुआती संकेत, जिन्हें पहचानकर आप अपनी सेहत की रक्षा कर सकते हैं।

1. पेशाब में बदलाव

किडनी की समस्या अक्सर पेशाब की आदतों में बदलाव के रूप में सामने आती है। इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना।
  • पेशाब की मात्रा में असामान्य कमी या वृद्धि।
  • पेशाब का रंग बदलना, जैसे गहरा पीला या झागदार होना।

यदि यह बदलाव लगातार दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है। यह संकेत किडनी की कमजोर फिल्ट्रेशन क्षमता की ओर इशारा कर सकते हैं।

2. पेशाब में झाग या खून

अगर पेशाब झागदार दिखे या उसमें खून नजर आए, तो यह गंभीर संकेत है। इसका मतलब है कि किडनी सही तरीके से प्रोटीन या ब्लड को फिल्टर नहीं कर पा रही। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

3. लगातार थकान या कमजोरी महसूस होना

किडनी की खराबी से शरीर में एरिथ्रोपॉयटिन हार्मोन की कमी हो जाती है, जो रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है। इसके कारण व्यक्ति को लगातार थकान, कमजोरी और ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है।

4. चेहरे और पैरों में सूजन

किडनी जब सही से सोडियम और पानी बाहर नहीं निकाल पाती, तो शरीर में पानी जमा होने लगता है। इसका असर चेहरे, टखनों और पैरों की सूजन के रूप में दिखाई देता है।

5. भूख न लगना और मतली

किडनी के कमजोर होने पर टॉक्सिन्स शरीर में जमा होने लगते हैं। इससे भूख कम लगना, मितली और उल्टी जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

6. सांस लेने में परेशानी

किडनी की खराबी के कारण शरीर में अतिरिक्त फ्लूइड जमा हो सकता है, जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है।

7. त्वचा पर खुजली या रूखापन

किडनी अगर वेस्ट प्रोडक्ट्स को सही से बाहर नहीं निकालती, तो शरीर में फॉस्फोरस और अन्य तत्वों का असंतुलन होता है। इसका असर त्वचा पर खुजली, ड्राइनेस और चकत्तों के रूप में दिखाई देता है।

किडनी स्वस्थ रखने के उपाय

किडनी की सेहत बनाए रखने के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • पर्याप्त पानी पीएं और शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
  • नमक और प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम करें।
  • नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का अधिक सेवन न करें।
  • रक्तचाप और शुगर का नियमित जांच कराएं।

समय रहते चेतना जरूरी

किडनी की शुरुआती समस्याओं को नजरअंदाज करने से गंभीर किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। अगर पेशाब में बदलाव, झाग, खून, सूजन, थकान या किसी अन्य लक्षण लगातार दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। समय पर पहचान और इलाज से किडनी स्वस्थ रखी जा सकती है और गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।

Ramesh जी की कहानी से सीखें – छोटे संकेत, बड़ी सचाई

Ramesh जी 45 साल के थे जब उन्होंने पहली बार महसूस किया कि कुछ अजीब हो रहा है। सुबह की चाय के साथ बैठे-बैठे वो सोच रहे थे – “अरे, ये पेशाब का रंग थोड़ा अलग क्यों लग रहा है?” लेकिन मन में कहा, “अरे यार, कुछ नहीं होगा, बस पानी कम पिया होगा।”

लेकिन क्या सच में ‘कुछ नहीं’ था?

मेडिकल साइंस की नजर से: द टू क्रिटिकल चेंजेस

बदलाव #1: फोम और झाग (प्रोटीनूरिया)

कहानी की भाषा में: जब Ramesh जी का पेशाब टॉयलेट बाउल में गिरता था, तो ऐसे झाग बनते थे जैसे कोई साबुन मिला दिया हो। पहले तो उन्होंने सोचा – “हो सकता है सफाई का कुछ केमिकल हो।” लेकिन यह हर दिन हो रहा था।

मेडिकल तथ्य: यह प्रोटीनूरिया का संकेत है। सामान्यतः हमारे किडनी में glomeruli नामक tiny filters होते हैं जो प्रोटीन को रक्त में ही रखते हैं। जब ये filters damage होने लगते हैं, तो प्रोटीन urine में leak करने लगता है, जिससे foam formation होता है।

बदलाव #2: रंग में परिवर्तन (हेमेट्यूरिया)

कहानी की भाषा में: Ramesh जी ने देखा कि कभी-कभी पेशाब का रंग चाय जैसा या हल्का गुलाबी हो जाता था। “शायद कल रात ज्यादा चुकंदर खाया था,” वो खुद को समझाते रहे। लेकिन चुकंदर तो रोज नहीं खाते थे!

मेडिकल तथ्य: यह microscopic या gross hematuria का indication है। Early kidney damage में nephron की structural integrity compromise हो जाती है, जिससे RBCs urine में pass होने लगती हैं। यह chronic kidney disease (CKD) के initial stages में देखा जाता है।

Science Behind the Story

क्यों होते हैं ये बदलाव?

जब हमारी kidneys में nephrons (functional units) damage होने शुरू होते हैं, तो:

  1. Glomerular filtration barrier weak हो जाता है
  2. Basement membrane में irregularities आ जाती हैं
  3. Podocytes (specialized cells) dysfunction करने लगती हैं

यह process gradual होती है, इसीलिए शुरुआती signs subtle होते हैं।

Ramesh जी का अंत क्या हुआ?

Ramesh जी ने इन signs को ignore किया। 6 महीने बाद जब वो थकान और सांस लेने में तकलीफ से परेशान होकर डॉक्टर के पास गए, तो पता चला कि उनका creatinine level 3.2 mg/dL था (normal: 0.6-1.2 mg/dL)।

लेकिन अगर वो 6 महीने पहले ही…

आपकी Action Plan

तुरंत करें:

  • अगर आपके पेशाब में continuous foam है
  • रंग में बदलाव 2-3 दिन से ज्यादा है
  • तो kidney function test (KFT) कराएं

Regular Monitoring:

  • Serum Creatinine
  • Blood Urea Nitrogen (BUN)
  • Urinalysis with microscopy
  • eGFR calculation

Medical Bottom Line

Early detection में है जान की बात। Chronic Kidney Disease के stage 1-2 में यदि intervention हो जाए, तो progression को significantly slow किया जा सकता है। लेकिन एक बार stage 4-5 में पहुंचने के बाद dialysis या transplant ही विकल्प बचते हैं।

याद रखें: आपका शरीर आपसे बात करता है – सुनना सीखिए, ignore मत कीजिए।


यह जानकारी educational purpose के लिए है। किसी भी medical concern के लिए qualified physician से consult करें।

यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए योग्य डॉक्टर से परामर्श लें।

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